Bhakt namavali hit dhruv das ji भक्त नामावली हित ध्रुव दास कृत पद ।। Jai Shree RadheKrishna
इन संतों के नाम प्रतिदिन गाने से, ठाकुरजी अति प्रसन्न होते हैं, और मन में श्री राधागोविन्द की भक्ति का भाव प्रबल होता है।
हमसों इन साधुन सों पंगति।
जिनको नाम लेत दुख छूटत सुख लूटत तिन संगति ।। 1।।
हमसों इन ..
मुख्य महन्त काम रति गणपति अज महेश नारायण।
सुर नर असुर पक्षी पसु जे हरिभक्ति परायण ।। 2।।
हमसों इन..
वाल्मीकि नारद अगस्त्य सुक व्यास सूत कुलहीना ।
शबरी स्वपच वसिष्ठ विदुर विदुरानी प्रेम नवीना ।। 3।।
हमसों इन..
गोपी गोप द्रोपदी कुंती आदि पांडवा ऊधौ ।
विष्णुस्वामी निम्बार्क माधौ रामानुज मग सूधौ ।। 4 ।।
हमसों इन..
लालाचारज धनुरदास कुरेस भाव रस भीजै ।
ज्ञानदेव गुरु सिष्य त्रिलोचन पटतर को कहि दीजै ।। 5।।
हमसों इन..
पदमावती चरन को चारन कवि जयदेव जसीलौ ।
चिन्तामनी चिद रूप लखायो विल्वमंगल्हि रसिलौ ।। 6।।
हमसों इन..
केसवभट्ट श्रीभट्ट नारायनभट्ट गदधरभट्टा ।
विट्ठलनाथ वल्लभाचार्ज ब्रज के गूजर जट्टा ।। 7।।
हमसों इन..
नित्यानन्द अद्वैत महाप्रभु सचिसुवन चैतन्या ।
भट्टगुपाल रघुनाथ जीव और मधु गुसाईं धन्या ।।8।।
हमसों इन..
रूप सनातन भज वृन्दावन तजि दारा सुत सम्पति ।
व्यासदास हरिवंस गुसाईं दिन दुलराई दम्पति ।। 9।।
हमसों इन..
श्रीस्वामी हरिदास हमारे विपुल बिहारिन दासी ।
नागरि नवल माधुरी वल्लभ नित्य बिहार उपासी।। 10।।
हमसों इन..
तानसेन अकबर करमेती मीरा करमाबाई ।
रत्नावती मीर माधौ रसखान रीति रस गाई ।। 11।।
हमसों इन..
अग्रदास नाभादि सखी ये सबे राम सीता की।
सूर मदनमोहन नरसी अलि तस्कर नवनीता की।। 12।।
हमसों इन..
माधोदास गुसाईं तुलसी कृष्णदास परमानन्द ।
विष्णुपुरी श्रीधर मधुसूदन पीपा गुरु रामानंद ।। 13 ।।
हमसों इन..
अलि भगवान मुरारि रसिक स्यामानन्द रंका बंका।
रामदास चीधर निष्किंचन सह्यान भक्ति निसन्का ।। 14।।
हमसों इन..
लाखा अंगद भक्त महाजन गोविंद नंद प्रबोधा।
दासमुरारी प्रेमनिधि विठलदास मथुरिया जोधा ।। 15।।
हमसों इन..
लालमती सीता प्रभुता झाली गोपाली बाई।
सुत विष दियौ पूज सिलपिलले भक्ति रसीली पाई ।। 16।।
हमसों इन..
पृथीराज खेमाल चतुर्भुज राम रसिक रस रासा।
आसकरण जयमल मधुकर नृप हरिदास जन दासा ।। 17।।
हमसों इन..
सेना धना कबीरा नामा कूबा सदन कसाई ।
बारमुखी रैदास सभा में सही न स्याम हसाई।। 18।।
हमसों इन..
चित्रकेतु प्रह्लाद विभीषण बलि ग्रह बाजे बावन।
जामवंत हनुमन्त गीध गुह किये राम जे पवन ।। 19।।
हमसों इन..
प्रीति प्रतीति प्रसाद साधु सों इन्हें इष्ट गुरु जानो ।
तज ऐष्वर्य मरजाद वेद की तिनके हाथ बिकानो ।। 20।।
हमसों इन..
भूत भविष्य लोक चौदह में भये होय हरि प्यारे ।
तिन तिन सों व्यवहार हमारौ अभिमानिन ते न्यारे ।। 21।।
हमसों इन..
भगवत रसिक रसिक परिकर करि सादर भोजन पावै।
ऊँचो कुल आचार अनादर देख ध्यान नहिँ आवै ।।
हमसों इन साधुन सों पंगति।
नित्य निरन्तर भक्त नामावली का पाठ नित्यप्रति करे।
🙏🙏🙏🙏
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